तू जी ए दिल जमाने के लिए : नीमा पंत


एसजीपीजीआई में कार्डियोलॉजी के नॉन इनवेसिटव लैब पर प्रभारी के पद पर नियुक्त नीमा पंत ने अपने हौंसले और जज्बे के बदौलत अपना ही नहीं अपने शहर का भी नाम रौशन किया है। फोन पर हुई बातचीत के दौरान मार्गोदय समाचार पत्र के संपादक तरूण कुमार से उनकी बातचीत के प्रस्तुत हैं कुछ प्रमुख अंश :-


सबसे पहले आपसे हमारा सवाल है कि आपने अपने कैरियर की शुरूआत कहां से की?


मैंने अपने कैरियर की शुरूआत कॉलेज और नर्सिंग कानपुर से की, मुझे ग्रजुऐशन करना था मगर मुझे लगा कि यदि मैं किसी प्रोफेशन कोर्स से अपनी शुरूआत करूंगी तो बहुत अच्छा रहेगा। बीएससी नर्सिंग आॅनर्स करने के बाद मैं बी.एम.बिरला चली गयी, बी.एम.बिरला कोलकाता में मैंने दो साल का कार्ड अर्थोरिशीयल स्पेशलाइजेशन उसके बाद मैंने संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएशन इंस्टीटयूट आॅफ लखनऊ से अपने कैरियर की शुरूआत की। यहां पर अपने नर्सिंग कैरियर को आगे बढ़ाने के लिए मैंने पीजीडीएचएचएम (पोस्ट गे्रजुएट डिप्लोमा इन हॉस्पीटल एण्ड हेल्थ मैनजमेंट एण्ड एडमिनिस्टेÑशन) और अपनी नर्सिंग नौकरी के दौरान एमबीए हॉस्पीटल एडमिनिस्टेÑशन भी किया तो इस प्रकार मैं 30 सालों से अपने नर्सिंग प्रोफेशन से जुड़ी हूँ और अपने मरीजों की सेवा में लगी हूँ।



आपकी प्राथमिक शिक्षा कहां से हुई और आपने किस मोड़ पर अपने जीवन का लक्ष्य तय किया?


मेरे पिता जी आर्मी आफिसर थे तो मेरी प्राथमिक शिक्षा काफी अलग-अलग जगहों से हुई। पर मैंने अपने प्राइमरी शिक्षा सरस्वती ज्ञान मंदिर कानपुर से की, उसके बाद एमजी गर्ल्स कॉलज से मैंने इंटर किया, इंटर करने के तुरंत बाद ही मेरा सिलेक्शन बीएससी नर्सिंग आनर्स के लिए हो गया था, वह भी मेरा कानपुर से ही रहा। बीएससी नर्सिंग आनर्स की शुरूआत करते ही मैंने निश्चय कर लिया था कि इस प्रोफेशन को लेकर ही आगे बढूंगी और जीवनपर्यन्त तक मरीजों की सेवा करूंगी।


आपकी सफलता और आज आप जिस मुकाम पर हैं उसने पाने के लिए आपने क्या किया और उसमें मुख्य भूमिका किसकी रही?


मेरी सफलता और आज मैं जिस मुकाम पर हूँ, उसके लिए मुख्य भूमिका मेरे माता-पिता और भाई-बहनों की रही, उन्होंने ही मुझे प्रेरित किया, कि मैं कुछ अलग कर पा रही हूँ, जिसके लिए अपनी सर्विस के दौरान भी मैंने अपनी पढाई को हमेशा ही आगे बढ़ाया। इसका सारा श्रेय मैं माता-पिता और भाई-बहनों को ही दूंगी।



आपने आज तक अपने जीवन में जो तय किया और उसको पाने के लिए आपने दिन रात मेहनत की क्या अभी वह सपना अधूरा है?


अपने जीवन में मैंने जो भी तय किया उसको पाने के लिए मेहनत तो बहुत ही जरूरी थी क्योंकि खूबसूरती से ही काफी नहीं हुई और उसका कोई पैमाना नहीं होता, उसके साथ-साथ हमें दिन-रात मेहनत करनी पड़ती हैं, टैलेंट राउंड के लिए करंट अफेयर पर मेहनत की, अपने को कोरियोग्राफ करवाया, प्रश्नोंत्तर के लिए भी काफी तैयारियां कीं, और सबसे बड़ी बात ये है कि अपनी नौकरी के दौरान स्टेज भी कवर करती हूँ  जिसमें काफी अलग-अलग विषयों पर मैं बोलती हूँ और इसके लिए बॉडी को भी फिट रखना काफी जरूरी होता है, तो मैंने जुम्बा भी किया, पिछले डेढ दो सालों से मेहनत, थोडी से पढाई, थोड़ा सा वर्क आउट, थोड़ा सा नई-नई चीजों देखना समझना जारी रहा, जिससे मेरा यह सपना पूरा हुआ। अब कोई ऐसा सपना नहीं है जोकि अधूरा हो, इतना बड़ा टाइटल पाकर मैं बहुत खूश हूँ, अब मेरा कोई भी सपना अधूरा नहीं है। 



आपको आपके परिवार से सबसे ज्यादा सपोर्ट और सहयोग किनसे मिला?


मुझे मेरे परिवार में सबसे ज्यादा सपोर्ट मेरे हसबैंड डॉ.सुदीप कुमार जो इस समय प्रो.कार्डियोलाजिस्ट एसजीपीआई में हैं और मेरे ही साथ काम करते हैं, इन्होंने काफी सपोर्ट किया। मेरे बड़े भाई, जो जानते थे कि मुझे उनकी जरूरत है, उनका सपोर्ट भी काफी रहा और ससुराल में भी सब मुझे बेहद प्यार करते हैं, वे मेरी मेहनत को समझ पा रहे थे, मेरे सपने को पूरा करने के लिए भी मेरा ससुराल पक्ष की भी भूमिका रही। क्योंकि ट्रेनिंग के दौरान मेरे बच्चे और परिवार को इन्हीं लोगों ने सम्भाला है साथ ही साथ अपने विभाग का भी धन्यवाद देना चाहूंगी कि उन्होंने भी जरूरत के समय मेरी यथोचित मदद की। 


आपके जीवन के रोल मॉडल कौन है तथा आप किस फिल्म स्टार की तरह बनना चाहती हैं?


मैं किसी भी फिल्म स्टार को अपना रोल मॉडल नहीं मानती हूँ और सबसे बड़ा सच यह भी है कि मैंने करीब पिछले 20 सालों से थियेटर देखा भी नहीं है। मैं अपने जीवन का रोल मॉडल अपनी माताजी को मानती हूँ, जिन्होंने हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और बढ़ाया भी। फिर भी इनके अलावा यदि आप पूछेगें तो मैं मैरी कोम का नाम लूंगी। मिसेज यूनिवर्स का खिताब उस लेडी का मिलता है जो परिवार को साथ लेकर इस पैजेंट को पार करती है। फलोरेस कैटिगिल, मदर टेरेसा, इस समय मैरी कोम मेरी आदर्श हैं क्योंकि इन सभी लोगों ने जिसमें इनको खुशी मिली और समाज के लिए भी कुछ अलग हटकर किया इसमें मैं तीन शख्सियतों को खासतौर पर जगह देती हूँ, और साथ ही साथ मेरी माता जी की भी एक अलग जगह है। 
आप आने वाली पीढ़ी को कोई ऐसा संदेश देना चाहेंगी जिनसे वह प्रेरित हो सके।



मैं आने वाली पीढ़ी को यही कहना चाहूंगी कि बहुत अच्छी बात है ब्यूटी पैजेंट बनना, मॉडल बनना, पर अगर आप समाज के लिए कुछ करते हैं, अपनी पढाई को रोकते नहीं है, उसे साथ-साथ लेकर चलते हैं, तो आपकी खूबसूरती कई गुना बढ़ जायेगी। मैं आज भी इसी प्रयास में हूँ कि जल्द से जल्द मेरी पीएचडी पूरी हो और मैं और भी कुछ नया सीखूं, तो प्रोफेशनल होना बहुत जरूरी है, आप जितना कम टीवी देखते हैं, अच्छी चीजों का चयन करते हैं, आपके दोस्त अच्छे होते हैं, आप अच्छी पत्रिका पढ़ते हैं, या आप अच्छी चीजों को चूज करते हैं, तो वे आपके जीवन में मार्गदर्शक के रूप में काम करती हैं। आज भी मैं किताबें पढ़ने की शौकीन हूँ, किताबों से अच्छा और सच्चा दोस्त कोई हो ही नहीं सकता। मुझे बेहद खुशी है कि मैं -आपकी सेहत- पत्रिका को पढ़ती हूँ जिसमें काफी अच्छे-अच्छे टॉपिक पर बातें और जानकारियां होती हैं, मैं इससे जुड़ी हूँ और आगे आने वाली पीढ़ी से यही बोलूंगी कि जहां तक हो सके अपने घर के लिए, थोड़ा समाज के लिए, देश के लिए कुछ करना बहुत जरूरी है और वो हम किसी भी रूप में हमेशा हर दिन कर सकते हैं।