लॉकडाउन में बढ़ा साइबर क्राइम

लाॅकडाउन में साइबर अपराध के मामलों में काफी तेजी आई है। आजकल हैकर्स आम लोगों को अलग-अलग तरीके से कोरोना वायरस का डर दिखाकर ठग रहे हैं। अब भले देश अनलॉक हो चुका है लेकिन कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन में जिंदगी पूरी तरह ऑनलाइन हो गई। नौकरी, पढ़ाई और कारोबार आज सब कुछ ऑनलाइन हो रहा है। ऑनलाइन सुविधाओं ने जहां लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाया, तो दूसरी ओर साइबर अपराधियों ने इस मौके का फायदा उठाकर घर में बैठे लोगों को अपना शिकार बना डाला। 



कोरोना वायरस और सीमा पर पड़ोसी देश चीन के साथ विवाद के बाद भारत पर साइबर अटैक का खतरा मंडराने लगा है। हाल ही में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिंगेशन ने अलर्ट जारी कर देश में साइबर अटैक के खतरे की संभावना जताई है। सीबीआई के बाद अब देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने अपने खाताधारकों को अलर्ट किया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपने 42 करोड़ खाताधारकों को साइबर हमले से आगाह करते हुए चेतावनी जारी की है। बैंक ने ट्वीट कर अपने खाताधारकों को संभावित साइबर हमलों को लेकर चेतावनी देते हुए उन्हें फिशिंग से बचने की सलाह दी है। एसबीआई ने अपने ट्वीट में लिखा है कि ऐसा संज्ञान में आया है कि भारत के प्रमुख शहरों में एक साइबर अटैक होने वाला है। बैंक ने खाताधारकों को कहा है कि  वो दबवअ2019/हवअण्पद आने वाले ईमेल को गलती से भी क्लिक न करें। हैकर्स इस ईमेल आईडी से सब्जेक्ट लाइन फ्री कोविड-19 टेस्ट के साथ लोगों को ईमेल भेज रहे हैं। ऐसे संदिग्ध ईमेल पर गलती से भी क्लिक न करें। इस ईमेल के जरिए हैकर्स आपके खाते की निजी जानकारी को चुरा सकते हैं। एसबीआई ने अपनी ट्वीट में लिखा है कि इन हैकर्स के पास 20 लाख लोगों की ईमेल आईडी है। साइबर अटैक चेतावनी साइबर इंटेलिजेंस फर्म साइफार्मा ने भी दी है। साइफार्मा के मुताबिक, चीन के हैकर्स ने भारतीय कंपनियों की एक लिस्ट तैयार की है। ये उन कंपनियों की लिस्ट है, जिस पर चीनी हैकर साइबर अटैक करने की तैयारी में हैं। ऑनलाइन सिक्युरिटी फर्म सिमेंटेक कॉर्प की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा साइबर हमले झेलने वाला देश भारत है। 2016 से 2018 के बीच अमेरिका पर 255 और भारत पर 128 हमले हुए थे। भारत पर जो साइबर अटैक होते हैं, वो चीन, पाकिस्तान, रूस, यूक्रेन, वियतनाम और उत्तर कोरिया की तरफ से होते हैं।


लॉकडाउन के दौरान आईटी मंत्रालय की आई एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल में सैकड़ों ऐसी वेबसाइट खुली जिनका यूआरएल कोरोना या कोविड-19 से जुड़ा था। साइबर अपराधियों ने सरकारी वेबसाइट से मिलने जुलते नामों से वेबसाइट बनाकर आसानी से लोगों को अपने जाल में फंसा लिया। स्कैम ई-मेल के जरिए लोगों को फ्री मास्क, फ्री सैनिटाइजर देने के दावे वाले ई-मेल भेजे जाते हैं। इसके अलावा लोगों को ऐसे ई-मेल भी भेजे जाते हैं जिनमें वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों में निवेश करने को कहा जाता है, जबकि वास्तव में ये कंपनियां फर्जी होती हैं। इसके अलावा लोगों से फर्जी डोनेशन भी मांगे जाते हैं। वहीं चैरिटी वाले ई-मेल भी आते हैं। लॉकडाउन के दौरान जब पूरा देश घर में बंद था। काम-काज ठप्प पड़ा था। स्कूल-कॉलेज, ऑफिस सब बंद थे लेकिन शातिर ठग तब भी सक्रिय थे। साइबर अपराधियों ने बीजेपी नेता के खाते में भी सेंध लगा दी। सिवनी से पार्टी विधायक मुनमुन राय साइबर ठगों के जाल में ऐसे फंसे कि पता ही नहीं चला कि कब उनके खाते से लाखों रुपए निकाल लिये गए। आरोपियों ने उनके दो खातों से करीब साढ़े चार लाख रुपए निकाल लिये। ठगों ने ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए उनका खाता हैक कर ये रकम ट्रांसफर कर ली। 



चिनहट की गौरव विहार कालोनी में रहने वाले सतीश कुमार के पास 28 मार्च को एक कॉल आई। आरोपी ने खुद को जवाहर भवन स्थित ट्रेजरी का कर्मचारी बताकर उनकी ऑनलाइन पे-स्लिप बनाने के लिए खाते की डिटेल हासिल की। इसके बाद उनके एसबीआई के सैलरी अकाउंट से 55 हजार रुपए उड़ा लिए। साइबर क्राइम सेल के पास इस तरह से ठगी की 23 शिकायतें आ चुकी हैं। झारखंड में देवघर के साइबर अपराधियों ने देश के विभिन्न राज्यों के 74 बैंक खातों से 1.12 करोड़ रुपए उड़ा दिए। जांच में मोबाइल नंबर ट्रेस होने के बाद साइबर थाना देवघर में अज्ञात अपराधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। यह रकम बैंक अधिकारी बनकर ठगी गई। साइबर ठगी का शिकार सभी ग्राहक आईसीआईसीआई बैंक के हैं। आईसीआईसीआई बैंक देवघर शाखा के प्रबंधक चैतन्य कुमार ने एफआईआर में जिक्र किया है कि अज्ञात साइबर आरोपियों ने खाताधारकों को फोनकर अपने को बैंक अधिकारी बताया और बैंक खाता बंद होने की बात कहते हुए केवाईसी अपडेट करने के लिए कहा। ग्राहकों से उनके बैंक खातों से संबंधित जानकारी लेकर कुल 74 खातों से 1. 12 करोड़ रुपए निकाल लिये। एफआईआर में कहा गया है कि पीड़ित खाताधारक देश के विभिन्न राज्यों के रहने वाले हैं। वहीं दूसरा मामला 51 की ठगी का है। 


इंटरनेट हमारे लिए नया बेसिक सर्विस बन गया है। खासतौर पर कोरोना वायरस महामारी के दौरान जहां लोग अपने प्रियजनों के साथ जुड़े रहने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल ने हैकर्स और वर्चुअल अटैकर्स के लिए यूजर्स पर साइबर अटैक करने का काम आसान कर दिया है। भारत के पास दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट यूजर बेस है, जो डेटा और यूजर्स की संख्या के मामले में दिन-प्रतिदिन विस्तार कर रहा है। 


लॉकडाउन पीरियड में साइबर अपराध बढ़ गए हैं। साइबर एक्सपर्ट कहते हैं कि पहले पांच महीने में पिछले साल के मुकाबले 10 प्रतिशत साइबर अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। ज्यादातर मामले सोशल मीडिया अकाउंट हैक करने और मानहानि के लिए भेजे मैसेज से जुड़े हैं। लॉकडाउन में बढ़े साइबर क्राइम का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि सिक्योरिटी फर्म बाराकुडा नेटवर्क के अनुसार एक मार्च से 23 मार्च के बीच 4,67,825 फिशिंग ई-मेल भेजे गए जिनमें 9,116 कोरोना से संबंधित हैं, जबकि फरवरी में कोरोना को लेकर 1,188 और जनवरी में सिर्फ 137 ई-मेल भेजे गए थे। कोरोना वायरस से संबंधित ई-मेल भेजकर लोगों की निजी जानकारी चोरी की जा रही है और उनके सिस्टम में मैलवेयर इंस्टॉल करवाया जा रहा है।


संयुक्त राष्ट्र के निरस्त्रीकरण मामले की प्रमुख भी सावधान कर चुकी हैं कि कोविड-19 महामारी के दौरान साइबर अपराध बढ़ रहा है और दुर्भावनापूर्ण ईमेल में 600 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जहां इंटरनेट ने दुनिया की सीमा खत्म कर दी है और साइबर की दुनिया जितनी मनोरंजक है, वहीं इसका तिलिस्म उतना ही खतरनाक। जाने-अनजाने हमारी एक गलती हमें साइबर क्राइम का शिकार बना सकती है।