कश्मीरी पंडित अपने ही देश मे शरणार्थी, सरकार शीघ्र उठाये पुनर्वास का कदम : पीयूष पंडित

नई दिल्ली। विश्व शरणार्थी दिवस पर स्वर्ण भारत परिवार ने कहा प्रत्येक वर्ष पूरी दुनिया में 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने की घोषणा सर्व प्रथम संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2000 में की थी. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है कि कोई भी मनुष्य अमान्य नहीं होता है. यह दिवस उन लोगों के साहस, शक्ति और संकल्प के प्रति सम्मान जताने के लिए भी मनाया जाता है, जो हिंसा, संघर्ष, युद्ध और प्रताड़ना के चलते अपना घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं या यूं कहें जो लोग अपना देश छोड़कर बाहर भागने को मजबूर हो गए हैं।



कुल मिलाकर शरणार्थियों की परिस्थितियों पर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है ताकि उनकी समस्या का हल निकाला जा सके इस मौके पर स्वर्ण भारत परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कश्मीरी पंडितो को यूएन के दिशानिर्देश के मुताबिक आंतरिक शरणार्थी घोषित करना, कश्मीरी पंडितों का नरसंहार करने वालों को सजा दिलाना और कश्मीरी पंडितों को विस्तास्ता नदी के उत्तर पूर्वी इलाके में बसाना शामिल हैं। पीयूष पण्डित  ने सरकारों के रवैये पर नाराजगी जाहिर कर कहा कि कश्मीरी पंडित अपने ही देश में शरणार्थी की तरह जी रहें और मौजूदा एनडीए सरकार व पिछली सरकारे उन्हें विस्थापित कहती रही हैं। विस्थापित का मतलब है कि बेहतर भविष्य के लिये हम अपना घर छोड़कर आये जबकि ऐसा नहीं है।हमे मारा गया काटा गया हजार जुल्म किया गया तब हम अपना वतन छोड़ के शरणार्थी बने हैं । इस मौके पर अजिता सिंह ने मांग की कि सरकार तुरन्त कश्मीरी पंडितों को उनकी जगह वापस दिलाये , इस मौके पर सीमा मिश्रा, वंदना शुक्ला,व स्वर्ण भारत के अन्य पदाधिकारियों ने लाइव आकर अपनी बात रखी मीडिया को जानकारी प्रवक्ता संतोष पांडेय जी ने दिया।