करोना के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी

यह समझना पड़ेगा कि इस बीमारी को कंडाएमिक क्यों कहा गया है। इस समय पूरी दुनिया में यह संक्रमण फैला हुआ है। इसलिए इसको कंडाएमिक कहा गया है। इससे पहले इस वायरस का कोई भी नामोनिशान नहीं था।  इसलिए पूरी दुनिया इस से जूझ रही है अपने अपने तरीके से।  



इस महामारी का जिम्मेदार किसी एक व्यक्ति या एक संस्था को नहीं दी जा सकती
परंतु जिस जगह पर यह कार्य होता है उस जगह का अध्यक्ष इसकी जिम्मेदारी लेता है । अगर दिल्ली में यह संक्रमण बढ़ रहा है और केरला में यह घट रहा है तो हमें केरला से सीखना होगा कि वह क्या कर रहे हैं यह क्या नहीं कर रहे हैं, और दिल्ली वासियों को उसे अपनाना होगा । हम किसी भी सरकार को सीधे तौर पर इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते, चाहे वह दिल्ली की सरकार हो चाहे वह देश की । लेकिन यह भी बात बिल्कुल ठीक है कि जनता सरकारों की ओर देखती है, निर्देश और सॉल्यूशंस के लिए। क्योंकि सरकारी मशीनरी के पास बहुत सारे डॉक्टर्स, साइंटिस्ट, हेल्थ वर्कर, रिसोर्स है अलग-अलग प्रकार के जो की महामारी से जुड़े हुए हैं । 


जनता को यहां अपनी जिम्मेदारी लेनी होगी और सरकारों को अपनी । आज के बाद समझ में आती है कि अलग-अलग देशों से जो डाटा आ रहा है उनके डॉक्टर से उनके साइंटिस्ट से, उनके नेताओं से जो हमारे पास इंफॉर्मेशन आ रही है, उस जानकारी से यह बात हमें समझ में आ रही है कि हर एक व्यक्ति जिसको करोना है, उसको हॉस्पिटल के अंदर भर्ती होने की जरूरत नहीं है, परंतु उसके अंदर इस बात का भी भय नहीं होना चाहिए कि मैं मर जाऊंगा, यह बीमारी लाइलाज है । करोना     बीमारी से जो मृत्यु दर है, बहुत कम है । 3% से कम है । इसका मतलब यह है कि 100 लोगों में से केवल 3 व्यक्तियों की मृत्यु होने की संभावना है। जरा गौर से इस बात को समझिए की संभावना है ।


यदि सभी अस्पताल की तरफ भागेंगे तो ना हमारे पास इतने हस्पताल हैं ना ही बैड
कोई भी इलाज है यह हर आदमी जानता है । कोरोना नामक बीमारी का कोई भी इलाज नहीं है, अभी तक तो नहीं है । पूरी दुनिया के साइंटिस्ट, विशेषज्ञ डॉक्टर, इसके इलाज को निकालने में ढूंढ रहे हैं ।और बहुत ही वार फूटिंग पर काम चल रहा है ।  कि आप मरीज को लेकर अस्पताल जाते हैं और डॉक्टर आपकी जान बचा लेगा। ऐसा आपकी गलती है । डॉक्टर को भी उतना ही पता है इस बीमारी के बारे में जितना किसी और को पता है । हमें अभी तक इसके रूट कॉस से डील करना नहीं आता ।


हमें मानसिक तौर से सशक्त होना पड़ेगा ताकि हम अपने डर, अपने भय का सामना कर सके
हमें अनुशासित तरीके से जीवन को जीने का तरीका सीखना होगा ।अभी देखने में आ रहा है क्योंकि कर्फ्यू हटा है,  तो बेतहाशा लोग मार्केट में और इधर उधर जा रहे हैं,  और अपने जीवन को वैसे जीने का प्रयास कर रहे हैं जैसे वह करोना से पहले जीते थे ।
यह बात समझने की जरूरत है कि अब हम अपने जीवन को वैसा नहीं जी पाएंगे,  जैसा करोना आने से पहले जीते थे । अब जीवन को जीने की एक नई शैली सामने आएगी । अब लाइनों में लगना सीखना पड़ेगा, अब फिजिकल डिस्टेंसिंग सीखनी होगी, अब साफ-सुथरे रहने की महत्वता को समझना होगा ।


अब मास्क एक आवश्यकता नहीं अपनी वेशभूषा का अभिन्न अंग बन जाएगा । बहुत से मुल्क है जैसे कि जापान है। उन्होंने बहुत साल पहले से ही इन चीजों को     अपना रखा है । उनके आंकड़ों को देखेंगे, करोना बीमारी के तो बहुत कम आंकड़े मिलेंगे आपको वहां पर । क्योंकि वह लोग पहले से ही ऐसी सतर्कता बरतते आ  रहे हैं, जिससे इस महामारी पर कुछ बचाव किया जा सकता है ।


किसी भी व्यक्ति, किसी भी अस्पताल और किसी भी सरकार को जिम्मेदार ठहराना गलत होगा । हम सब को यह समझना होगा कि यह कुदरत की दी हुई महामारी है, और कुदरत से लड़ा नहीं जा सकता ।  करोना का वैक्सीनेशन निकलने में अभी कम से कम साल डेढ़ साल का समय है । हजारों लाखों लोगों की मृत्यु की संभावना है इस दौरान में, इस संख्या को कम किया जा सकता है, यदि हम अपने अपने राज्य सरकारों के निदेर्शों को माने,  सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें,


जितना ज्यादा से ज्यादा हो सके घरों में रहे, और सैनिटाइजर का प्रयोग करें । इस बीमारी से सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों को है।, नवजात शिशु को है । उन लोगों को है जिनको डायबिटीज और शुगर की बीमारियां हैं । इनका विशेष ध्यान रखेंगे तो करोना से होने वाली मृत्यु दर कम से कम होगी।