चुनाव आयोग की एससी/एसटी के साथ वर्षों से बेरूखी

पूर्वी दिल्ली। पूर्वी दिल्ली शाहदरा विधानसभा क्षेत्र 62 के चारों निगम वॉर्डों -1. शाहदरा बिहारी कालोनी (वॉर्ड 31-ई), 2. झिलमिल कालोनी (वॉर्ड 30-ई), विवेक विहार (वॉर्ड 29-ई) और दिलशाद कालोनी (वॉर्ड 28-ई) में से एक भी सीट को बीते सालों में एक बार भी  एक भी निगम की सीट को एससी/एसटी रिजर्व घोषित नहीं किया। क्यों बहुत ही सोचनीय सवाल है? जबकि इस विधानसभा क्षेत्र में बिहारी कालोनी, शाहदरा, िझलमिल, दिलशाद कालोनी में बहुत ही ज्यादा संख्या में एससी/एसटी लोग निवास करते हैं।



नाम न बताने की शर्त पर हमारे ज्ञात सूत्रों से खबर मिली है कि यदि इस विधानसभा क्षेत्र की किसी भी  निगम की सीट को एससी/एसटी रिजर्व घोषित किया गया तो उस प्रत्याशी का जीतना लगभग तय माना जाता है। इसी मद्देनजर राजनीति के बड़े नुमाइंदे अपनी स्वार्थ के निहितार्थ चुनाव आयोग के अधिकारियों से सांठ-गांठ कर इस विधानसभा क्षेत्र की किसी भी निगम की सीट को एससी/एसटी रिजर्व सीट घोषित होने से रूकवा देते हैं। ताकि इस क्षेत्र में कोई भी एससी/एसटी प्रत्याशी खड़ा ही ना हो और इन चारों सीटों पर किसी अन्य प्रत्याशी का कब्जा बरकरार रहे।  


अब सोचने का विषय यह है कि क्या बीते वर्षों में एक बार भी निगम के चारों सीटों में एक भी सीट को चुनाव आयोग एससी/एसटी रिजर्व घोषित क्यों न कर रहा है? क्या कारण है? कहीं बहुत बड़ी राजनीति की बू तो नहीं आ रही। बीते निगम के चुनाव में झिलमिल वॉर्ड - 30 ई की सीट को महिला आरक्षित रखा गया तो क्या इस बार एससी/एसटी सीट आरक्षित घोषित की जायेगी? दिल्ली में जल्द ही अब निगम के चुनाव आने वाले हैं और राजनीतिक पार्टियों के सांठगांठ चालू हो चुकी हैं और सभी पार्टी के प्रत्याशी लग चुके हैं अपने-अपनी गोटी फिट करने के लिए। किसी भी तरह शाहदरा विधानसभा क्षेत्र की चारों निगम के सीटों को जनरल रखा जाये। 


अब फैसला चुनाव आयोग के आलाधिकारियों के पास है बीते सालों की तरह वो इस बार भी इस विधानसभा क्षेत्र के निगम की सीटों में से एक भी सीट को एससी/एसटी घोषित नहीं करता या फिर घोषित करता है। यदि इस बार भी एससी/एसटी सीट रिजर्व घोषित नहीं किया गया तो शाहदरा विधानसभा क्षेत्र में रहने जनता जनार्दन के साथ बहुत बड़ा धोखा होगा, क्योंकि इस विधानसभा क्षेत्र में एससी/एसटी लोगों की संख्या बहुतायात है।