बच्चों के भविष्य पर कोरोना का बढ़ता कहर

आज सरकार की तरफ से कोरोनावायरस को काफी हद तक सीमित करने की कोशिश की जा रही है।   वहीं पर कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या दिन पे दिन  बढ़ती चली जा रही है।  ऐसे में बच्चों के भविष्य का खतरा मंडराने लगा है।  आखिर बच्चे ही हमारे देश का भविष्य  है , तो सरकार का स्कूल खोलने का फैसला काफी हद तक सही है।  पर कहीं ना कहीं बच्चों के माता-पिता के मन में भय  बैठा हुआ है , कि क्या स्कूल खोल देने से बच्चों पर कोरोनावायरस का खतरा  नहीं होगा।  कई स्कूलों में बच्चों के पढ़ाई या देख रखाव से संबधित  लापरवाही के आरोप लगते रहे हैं।  कई स्कूलों में छोटी या बड़ी गलतियां होती रहती हैं।  क्या हम मान सकते हैं, कि स्कूल इस कोरोना वायरस के चलते पूरी शिद्दत से बच्चों की सुरक्षा की  जिम्मेवारी निभा पायेगा।   आखिर हम सब जानते हैं कि हमारे देश में नियम और कानून का पालन कराने के लिए पुलिस और प्रशासन को चोटी ऐड़ी का जोर लगाना पड़ रहा है , फिर भी हम जैसे पढ़े लिखे उम्र दार लोग कहीं ना कहीं नियमों का  उल्लंघन करते रहते हैं। प्रसाशन के सख्त  होने के बावजूद भी कहीं ना कहीं नियमों की धज्जियां उड़ने की खबरें अक्सर मिलती रहती हैं।
 तो आप क्या सोचते हैं, बच्चे तो बहुत मासूम होते हैं बच्चों की तो खेलने - कूदने की उम्र होती है।  क्या बच्चे इन नियमों का पालन कर पाएंगे क्या स्कूल पूर्ण रूप से सक्षम है।  अगर स्कूल आॅनलाइन पढ़ाई फिर से शुरू कराता है।  तो कंप्यूटर या  मोबाइल पर बच्चों के घंटों घंटों बैठकर पढ़ने से उनकी आंखों को नुकसान सम्भवता होगा । 



 


अब सवाल यह उठता है, कि अब हम क्या करें क्योंकि बच्चों का भविष्य भी जरूरी है, और स्कूल भी जरूरी है।  आखिर कब तक हम इस कोरोना वायरस के भय से जूझते रहेंगे। जब तक स्थिति थोड़ी भी काबू में आती है, तब तक स्कूल आॅनलाइन क्लासेज करा सकती हैं पर कुछ बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है।  की स्कूल एक  दिन में आॅनलाइन क्लास को लगातार ना करें , आॅनलाइन  क्लास को कम से कम समय में पूरा किया जाए। एक दिन के अंतराल क्लास उसको टुकड़ों में किया जाए।  जिससे कि बच्चों के आंखों पर असर ना पड़े। 


 हर स्कूल प्राइमरी और सेकेंडरी में विभाजित होता है।  जब कोरोना का संकट नियंत्रण में हो जाता है , तब  स्कूल खोलें , तो शुरूआती दौर में तो एक  दिन प्राइमरी के सेशंस  लिया जाए और एक  दिन सेकेंडरी के सेशंस लिया जाए।  ऐसा करने से बच्चों की स्कूल में भीड़ कम होगी और एक क्लास में कम से कम बच्चे होएंगे।  जिससे अपने आप ही सोशल डिस्टेंस का पालन भी हो जाएगा।  भले ही ऐसा करने से पढ़ाई की गति धीमे हो जाएगी।  पर रुकेगी तो  नहीं।  सरकार पर पूरे देश की जिम्मेवारी है, सरकार ने स्कूल खोलने के फैसले के बारे सोच कर उचित कदम उठाया है। अब  यह तो हम लोगों की जिम्मेवारी है। कि हम इस फैसले को सफल बनाएं।  अब हर एक स्कूल और उन स्कूलों के अभिभावकों को मिलकर नियमों का और नए-नए उपायों  का निर्वाह  करना होगा। आखिर, यह हम सबके  बच्चों के भविष्य का सवाल है।


 मैं  यह नहीं कहना चाहती हूँ।  की यह सब से कोरोना का खतरा नहीं होगा।  आखिर में, इस कोरोना वायरस से एतिहात तो वैसे ही  हम सबको रोज मर्रा की जिन्दगी  में  रखना पड़ रहा  है।