5 करोड़ युवाओं द्वारा आत्मनिर्भर भारत बनाने का मोदी संकल्प

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व युवा कौशल दिवस के अवसर पर युवाओं से कौशल प्राप्त करने, नया कौशल सीखने और कौशल बढ़ाने का आह्वान किया।



कौशल भारत मिशन से स्थानीय और विश्व दोनों ही स्तरों पर रोजगार प्राप्त करने के अवसर बढ़ गए हैं। ऐसा दावा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, कुशल कामगारों का विवरण तैयार करने के लिए हाल ही में लॉन्च किए गए पोर्टल से घर लौटे प्रवासी श्रमिकों सहित अन्य कामगारों को आसानी से नौकरी पाने में मदद मिलेगी। उन्होंने देश में बड़ी संख्या में उपलब्ध कुशल कामगारों का उपयोग करने और इनकी बदौलत वैश्विक मांग पूरी करने के मामले में भारत की व्यापक क्षमता  का विश्लेषण किया।


जानकारी हो कि स्किल इंडिया भारत सरकार की एक पहल है, जो देश के युवाओं को उनके कौशल के साथ सशक्त बनाने के लिए शुरू की गई है जो उन्हें अपने कार्य परिवेश में अधिक रोजगारपरक और अधिक उत्पादक बनाते हैं। स्किल इंडिया कार्यक्रम के तहत कई क्षेत्रों में पाठ्यक्रम उपलब्ध कराए गए हैं जो राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढांचे के तहत उद्योग और सरकार दोनों द्वारा मान्यता प्राप्त मानकों से संबद्ध हैं। प्रधानमंत्री ने कौशल को एक उत्कृष्ट उपहार बताते हुए कहा कि इसे हम खुद को दे सकते हैं। कौशल दरअसल अनंत, अद्वितीय, अनमोल खजाना और एक साधन है जिसके जरिए न केवल रोजगार पाने लायक बना जा सकता है, बल्कि यह संतोषजनक जीवन जीने में भी मददगार साबित होता है। नए कौशल हासिल करने के स्वाभाविक आकर्षण से व्यक्ति के जीवन में नई ऊर्जा उत्पन्न होती है और व्यापक प्रोत्साहन मिलता है। कौशल न केवल आजीविका का साधन है, बल्कि हमारी सामान्य दिनचर्या में स्वयं को जीवंत और ऊजार्वान महसूस करने का एक विशेष गुण या माध्यम भी है। युवाओं को प्रबोधन देते हुए उन्होंने कहा कि एक सफल व्यक्ति की बहुत बड़ी निशानी होती है कि वो अपनी स्किल बढ़ाने का कोई भी मौका जाने ना दे। इतना ही नहीं, मौका ढूँढता रहे।  स्किल  के प्रति अगर आप में आकर्षण नहीं है, कुछ नया सीखने की ललक नहीं है तो जीवन ठहर जाता है। एक रुकावट सी महसूस होती है। एक प्रकार से वो व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को, अपनी  पर्सनालिटी  को ही बोझ बना लेता है। और खुद के लिए नहीं, अपने स्वजनों के लिए भी बोझ बन जाता है। वहीं स्किल  के प्रति आकर्षण, जीने की ताकत देता है, जीने का उत्साह देता है। स्किल  सिर्फ रोजी-रोटी और पैसे कमाने का जरिया नहीं है। जिंदगी में उमंग चाहिए, उत्साह चाहिए, जीने की जिद चाहिए, तो स्किल हमारी  ड्राइविंग फोर्स बनती है, हमारे लिए नई प्रेरणा लेकर आती है। ऊर्जा का काम करती है। और उम्र कोई भी हो, चाहे युवावस्था हो या बुजुर्ग, अगर आप नई-नई   स्किल्स सीख रहे हैं, तो जीवन के प्रति उत्साह कभी कम नहीं होगा। स्किल के  बारे में अपना अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि स्किल क्या ताकत होती है, इससे जुड़ा हर किसी का कुछ ना कुछ अनुभव होगा। मुझे भी आज, जब आपसे बात कर रहा हूं, तो एक पुरानी घटना याद आती है। और ये तब की बात है। 


जब मैं युवावस्था में अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में  में एक स्वयंसेवी या वालंटियर के रूप में काम करता था। कुछ संस्थाओं के साथ मिलकर  मैं काम कर लेता था। तो एक बार, एक संस्था के साथ, उनके लोगों के साथ कहीं बाहर जाना था, तो उनकी जीप में हम सब जाने वाले थे। लेकिन वो जीप सुबह जब निकलना था, उसी समय चली नहीं। अब उन जंगलों में भटकते-भटकते, वो जीप भी ऐसी ही थी। अब सब लोग लगे, काफी कुछ कोशिश की, धक्के मारे, सब किया, लेकिन गाड़ी चली नहीं। आगे जब 7-8 बज गए तो किसी एक मैकेनिक को बुला लिया। उसने आकर के कुछ इधर-उधर किया और  दो मिनट में तो ठीक कर दिया। फिर उसको पूछा, कितने पैसे तो बोला बीस 20 रुपये। उस जमाने में 20 रुपये की कीमत बहुत होती थी। लेकिन हमारे एक साथी ने कहा, अरे यार 2 मिनट का काम और तुम 20 रुपये मांग रहे हो। उसका जवाब मुझे आज भी प्रेरणा देता है, मेरे मन में प्रभाव पैदा करता है। उस अनपढ़ मैकेनिक ने कहा, साहब मैं 2 मिनट का 20 रुपये नहीं ले रहा, 20 साल से काम करते-करते मैंने, जो हुनर मेरे में आया है, जो अनुभव जुटाया है, ये 20 रुपया उसका है। मैं समझता हूं, ये ही होती है स्किल की ताकत। आपके काम की ही नहीं, आपकी भी प्रतिभा को, प्रभाव को, प्रेरक बना देती है।


उन्होंने  ज्ञान  और कौशल  के बीच के अंतर को भी स्पष्ट किया। एक उदाहरण के साथ इसे स्पष्ट करते हुए कहा कि यह जानना कि साइकिल कैसे चलती है, यह  ज्ञान  है, जबकि वास्तव में स्वयं साइकिल चला लेना कौशल है। युवाओं के लिए दोनों के बीच के अंतर को समझना और उनके विभिन्न संदर्भों एवं निहितार्थों को महसूस करना अत्यंत आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने बढ़ई के कामकाज का एक उदाहरण देते हुए स्किलिंग, रिस्किलिंग और अपस्किलिंग के बीच की बारीकियों को व्याख्यायित किया।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व युवा कौशल दिवस और ह्यकौशल भारतह्ण मिशन की पांचवीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित डिजिटल स्किल कॉन्क्लेव को  सम्बोधित कर रहे  थे। युवाओं से कौशल प्राप्त करने, नया कौशल सीखने और कौशल बढ़ाने का आह्वान किया, ताकि तेजी से बदलते कारोबारी माहौल और बाजार स्थितियों में निरंतर प्रासंगिक बने रहना संभव हो सके। देश के युवाओं को बधाई देते हुए  कहा कि यह दुनिया सही मायनों में युवाओं की है क्योंकि उनमें सदैव नए कौशल हासिल करने की व्यापक क्षमता होती है।


प्रधानमंत्री ने स्किल  इंडिया मिशन  की चर्चा करते हुए कहा कि इसी दिन पांच साल पहले शुरू किए गए ह्यस्किल इंडिया मिशनह्ण से कौशल प्राप्त करने, नया कौशल सीखने एवं कौशल बढ़ाने के लिए विशाल अवसंरचना का निर्माण हुआ है।  साथ ही स्थानीय एवं विश्व दोनों ही स्तरों पर रोजगार प्राप्त करने के अवसर बढ़ गए हैं। परिणामस्वरूप देश भर में सैकड़ों पीएम कौशल केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं और आईटीआई परिवेश या व्यवस्था की क्षमता काफी बढ़ गई है। इन ठोस प्रयासों के फलस्वरूप पिछले पांच वर्षों में पांच करोड़ से भी अधिक युवाओं को कुशल बना दिया गया है। कुशल कामगारों और नियोक्ताओं का खाका (मैपिंग) या विवरण तैयार करने के लिए  कुछ दिनों पूर्व  लॉन्च किए गए पोर्टल का उल्लेख करते हुए  नरेंद्र मोदी ने कहा कि इससे घर लौटे प्रवासी श्रमिकों सहित अन्य कामगारों को आसानी से नौकरी पाने में मदद मिलेगी। नियोक्ताओं को भी माउस को क्लिक करते ही कुशल कर्मचारियों से संपर्क करने में काफी आसानी होगी। प्रवासी श्रमिकों के उत्कृष्ट कौशल से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बदलने में भी काफी मदद मिलेगी। खासकर जो श्रमिक, हाल फिलहाल में शहरों से अपने गांवों में गए हैं, उन्हें बहुत मदद मिल पाएगी। आपने इधर बीच भी देखा होगा कि कैसे एक खास स्किल सेट के साथ गांव पहुंचे लोगों ने, गांव का कायाकल्प करना शुरू कर दिया है। कोई स्कूल को पेंट कर रहा है, तो कोई नई डिजाइन के घर बनवा रहा है। छोटी-बड़ी हर तरह की ऐसी ही  स्किल आत्मनिर्भर भारत की भी बहुत बड़ी शक्ति बनेगी।


देश में बड़ी संख्या में उपलब्ध कुशल कामगारों का उपयोग करने के मामले में भारत की व्यापक क्षमता का उल्लेख करते हुए उन्होंने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का उदाहरण दिया। जहां बड़ी संख्या में उपलब्घ्ध कुशल भारतीय कामगार वैश्विक मांग को पूरा कर सकते हैं। इस मांग का खाका या विवरण तैयार करने और भारतीय मानकों को अन्य देशों के मानकों के अनुरूप करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसी प्रकार प्रधानमंत्री ने यह सुझाव दिया कि लंबी समुद्री परंपरा का अनुभव रखने वाले भारतीय युवा इस सेक्टर में बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए विश्व भर में मर्चेंट नेवी में विशेषज्ञ नाविकों के रूप में अहम योगदान कर सकते हैं। (हिफी)