किताबों के पैसे सहित फीस जमा कराने के लिए अभिभावकों को भेजे जा रहे हैं मैसेज
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के आदेशानुसार कोई भी प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से तीन महीनों की स्कूल फीस ना लें और अपने स्टॉफ को बदस्तूर सैलेरी भी देंगे। ऐसे में स्कूलों के सामने भी विकट समस्या खड़ी हो गयी है वे एक तरफ तो अभिभावकों से फीस नहीं मांगना चाहते और दूसरी तरफ स्कूल के स्टाफ को सैलेरी भी देनी है।
ऐसे में कुछ प्राइवेट स्कूलों ने किताबों के साथ अप्रैल माह की फीस भी मांगना चालू कर दिया है। सभी छात्रों के ग्रुपों में मैसेज डालकर उनसे फीस डालने पर दबाव दिया जा रहा है। छात्रों के अभिभावकों के फोन किये जाने पर उन्होंने कहा कि - ये बात तो आप सीधे मनीष सिसोदिया से पूछें कि हम अपने स्टॉफ को सैलरी कहां से देंगे - यदि आपको नहीं लेनी है तो आप ना लें। कहकर फोन काट दिये जा रहे हैं। सोचने का विषय यह है कि क्या लॉकडाउन की वजह से घाटा सिर्फ प्राइवेट स्कूलों को ही हो रहा है या अन्य सभी को भी हो रहा है।
भारत में कोरोना वायरस की वजह से 21 मार्च से लगे लॉकडाउन के कारण सभी स्कूलों को दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार के आदेशानुसार बंद कराया हुआ है। हाल ही में 17 अप्रैल को दिल्ली सरकार की डिप्टी सीएम 'मनीष सिसोदिया' ने आदेश दिए हैं कि दिल्ली के प्राइवेट स्कूल-
- बिना सरकार से पूछे फीस नहीं बढ़ाएँगे।
- तीन महीने की फीस नहीं लेंगे, केवल एक महीने की ट्यूशन फीस के अलावा कोई अन्य फीस नहीं लेंगे।
- फीस न देने पर किसी बच्चे को आॅनलाइन क्लास से नहीं हटाएँगे,
- सभी प्राइवेट स्कूलों की जिÞम्मेदारी है कि सभी टीचिंग, नॉन टीचिंग, कांट्रेक्ट या आउटसोर्सिस स्टाफ की तनख्वाह समय से दें।
- ये आदेश सभी प्राइवेट स्कूलों (सरकारी जमीनों अथवा प्राइवेट जमीनों वाले) पर लागू होंगे।
ऐसे में छात्रों के अभिभावकों और स्कूल प्रशासन में फीस को लेकर खींचातानी चालू हो चुकी है। अभिभावकों के पास पैसा नहीं है देने के लिए और स्कूल प्रशासन ने फीस मांगना चालू कर दिया है। अब देखना होगा कि दिल्ली सरकार इस पर क्या कार्यवाही करती है